Skip to main content

Tuesday, 5 November 2024 | 09:52 am

|   Subscribe   |   donation   Support Us    |   donation

Log in
Register


जैविक खेती की अग्रदूत मानी जाने वाली पाप्पाम्मल प्रतिदिन भोर में अपने खेत पर जाती हैं।

पद्मश्री से सम्मानित 106 साल की महिला किसान अब भी करती हैं खेती, जानिए उनके बारे में

106 वर्षीय इस जैविक किसान ने इस पुरस्कार से सम्मानित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है और कहा है कि ऐसे और किसानों को सम्मानित किया जाए ताकि देश में कृषि को प्रोत्साहित किया जा सके।
 |  Satyaagrah  |  Present Heros

इंसान एक उम्र के बाद आराम की जिंदगी जीने की चाह रखता है फिर वह किसी तरह का आसान काम करना चाहते हैं. मगर हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं, जिनके आगे उम्र कोई मायने नहीं रखती है। हर वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा होती है लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इन पुरस्कारों में नया आयाम-सा जुड़ गया है। इन पुरस्कारों की एक विशेषता बन गई है उन लोगों को सम्मानित करना जो ज़मीनी स्तर पर चुपचाप काम कर रहे हैं और साधारण रूप से देश की सेवा कर रहे हैं।

इस वर्ष के पुरस्कारों में भी हमने ऐसा देखा जिसमें से हम बात करेंगे तमिलनाडु के कोयंबतूर जिलेक के थेकमपट्टी गाँव की पाप्पाम्मल यानी रंगाम्मल की। पद्म श्री पुरस्कार के लिए उन्हें चुनकर मोदी सरकार ने संदेश भेजा है कि इस प्रकार की गतियविधियों से संबंधित मीडिया रिपोर्टों पर उसका ध्यान है।

"तमिलनाडु की 106 वर्षीय पप्पामल को पिछले 70 वर्षों से जैविक खेती में उनके काम के लिए राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया है।" संभवतः पाप्पाम्मल इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाली तमिलनाडु की जीवित सबसे आयुवान व्यक्ति हैं। उन्हें पुरस्कार दिया गया है भवानी नदी के किनारे स्थित अपनी 2.5 एकड़ की भूमि पर जैविक खेती करने के लिए जिसमें वे बाजरा, दालें, सब्ज़ियाँ और मक्का उगाती हैं। 106 वर्षीय इस जैविक किसान ने इस पुरस्कार से सम्मानित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है और कहा है कि ऐसे और किसानों को सम्मानित किया जाए ताकि देश में कृषि को प्रोत्साहित किया जा सके। विडंबना यह है कि द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) के अध्यक्ष एमके स्टैलिन ने इस सम्मान को “द्रमुक की विजय” कह दिया क्योंकि एम करुणानिधि की अनुयायी पाप्पाम्मल पार्टी सदस्या हैं।

पुरस्कार की घोषणा होते ही वे स्टैलिन से मिलने चेन्नई चली गईं। हालाँकि मोदी सरकार का संदेश यह है कि राजनीति में दो अलग छोरों पर होने के बावजूद भी वह योग्य लोगों को सम्मानित करने से पीछे नहीं हटती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस प्रकार के ज़मीनी कार्य को कभी भी पिछली सरकारों ने न पहचान दी, न सम्मानित किया जबकि यीनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) सरकार में तो 2004 से 2014 तक द्रमुक एक सक्रिय घटक दल था। और यह तब हुआ जब पाप्पाम्मल पहले भी कुछ बार दिल्ली जा चुकी हैं और पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने उन्हें चाय पर भी बुलाया था।

राजनीति को परे रखकर देखें कि ये वृद्ध महिला अतने वर्षों से वह कर रही हैं जिसमें वे कुशल हैं- खेती। 1914 में जन्मी पाप्पम्मल ने कई दशक पहले अपने पति को खो दिया। दंपति का अपना कोई बच्चा नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी बहन की तीन बेटियों को पाल-पोसकर बड़ा किया। वर्तमान में वे पाँच सदस्यों के परिवार में रहती हैं। पाप्पाम्मल दूसरी कक्षा तक ही पढ़ी हैं लेकिन वे किसानों के लिए तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय की कक्षाओं में गई हैं। वे एक जिज्ञासु छात्रा रहीं जिनके पास हमेशा ही पूछने के लिए कुछ न कुछ होता था। 

आज विश्वविद्यालय को गर्व है कि वे अभी तक उनकी छात्रा हैं और विश्वविद्यालय के सभी कुलाधिपतियों ने उन्हें “अग्रदूत कृषक” कहा। साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि जब वे बड़ी हुईं तो कोई औपचारिक विद्यालय नहीं थे इसलिए जो कुछ भी उन्होंने सीखा है, वह खेलों से सीखा।

देवलपुरम ग्राम में जन्मीं पाप्पाम्मल को उनकी दादी थेकमपट्टी लेकर आई थीं जो पाँच दशक पहले मृत्यु को प्राप्त हो गईं व उनके लिए एक किराने की दुकान विरासत के रूप में छोड़कर गईं। परिश्रमी व उद्यमी होने के कारण पाप्पाम्मल ने एक भोजनालय शुरू किया और इन दोनों की कमाई को मिलाकर वे गाँव में 10 एकड़ भूमि खरीद सकीं। उन्होंने कृषि भूमि खरीदी क्योंकि बचपन से ही कृषि में रुचि थी और उन्होंने काफी समय कृषि को समझने में व्यतीत किया था। वे यह भूमि इसलिए खरीद पाईं क्योंकि बचत में उन्हें विश्वास था। इस भूमि का तीन-चौथाई भाग उन्होंने उन तीनों लड़कियों को दे दिया जिन्हें उन्होंने बड़ा किया था। ऐसा करने का कारण था कि वे अकेले इतनी बड़ी भूमि का प्रबंधन करने में असमर्थ थीं। उनके पास बची 2.5 एकड़ भूमि और साथ ही वे किराने की दुकान व भोजनालय को भी चला रही हैं। जैविक खेती की अग्रदूत मानी जाने वाली पाप्पाम्मल प्रतिदिन भोर में अपने खेत पर जाती हैं। उनका मानना है कि जैविक खेती में निवेश के लिए युवाओं को समय और सब्र की आवश्यकता है।

कौन-सी खेती करती हैं?

पाप्पाम्मल अपने खेतों में दलहन, बाजरा और सब्जियों की खेती करती थीं. उनकी जैविक कृषि में काफी रूचि थी, इसलिए उन्होंने कई तरह के प्रयोग किए हैं. इसके अलावा राजनीतिक और सामाजिक जीवन में काफी सक्रिय रहीं हैं. उन्होंने कई किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक बातचीत में, उन्होंने कहा कि वह अभी भी 2.5 एकड़ में जाती है, जहां वह बाजरा, केले और भिंडी सहित विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती करती है। उनका दिन प्रत्येक दिन सुबह 5.30 बजे शुरू होता है और वह सुबह 6 बजे तक खेतों में काम करना शुरू कर देती है। उनके परिवार का एक सदस्य बताता है कि उनसे एक सीख अवश्य लेनी चाहिए कि “सोकर समय व्यर्थ मत करो।” अपने खान-पान का ध्यान रखने वाली पाप्पाम्मल स्थानीय और ताज़े उत्पाद का ही उपयोग करती हैं और बाजरे की खिचड़ी या मटन बिरयानी खाकर प्रसन्न रहती हैं।

106 वर्षीय महिला नियमित रूप से स्वास्थ्य जाँच के लिए जाती हैं और उनका रक्तचाप व खून में चीनी की मात्रा सामान्य है। वे राजनीतिक और सामाजिक मोर्चे पर भी सक्रिय हैं। 1959 में ग्राम पार्षद थीं। विशेष वाद-विवादों के लिए उन्हें विश्वविद्यालय भी बुलाया जाता है। मटन सूप पसंद करने वाली पाप्पाम्मल बताती हैं कि उनकी दीर्घायु की कुंजी कड़ी मेहनत और मानसिक तनाव से दूर रहना है। तमिलनाडु की आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू ने ट्विटर पर शुखामनाएँ देते दुए पाप्पाम्मल को “साहसी” महिला कहा जो कई ऐतिहासिक घटनाओं की साक्षी रही हैं। थेकमपट्टी गाँव में पद्म श्र मिलने उत्साह है क्योंकि इससे उनके गाँव का नाम भी रोशन हो गया है। इससे पहले गाँ वे पाप्पाम्मल के 100 वर्ष पूरे होने पर एक आयोजन हुआ था जिसमें 3,000 लोग सम्मिलित हुए थे। अब उन्हें पद्म श्री सम्मान मिलने से गाँव वालों के पास उत्सव का एक और अवसर है।

पीएम मोदी से की थी मुलाकात

पीएम मोदी ने 25 फरवरी को कोयंबटूर में अपने चुनाव अभियान के बाद पप्पम्मल से मुलाकात की थी. पीएम मोदी ने उनके साथ अपनी तस्वीर भी शेयर की थी. पीएम मोदी ने लिखा था, ‘आज कोयंबटूर में आर. पप्पम्मल जी से मुलाकात की. उन्हें कृषि और जैविक खेती में असाधारण काम के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें कई प्रमुख हस्तियों से बधाई के संदेश मिल रहे हैं। DMK के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने मंगलवार को ट्विटर पर पप्पामल को बधाई दी और कहा कि तमिल आइकन को उनके योगदान के लिए पहचाने जाने के लिए तहे दिल से आभार। आयु उनके लिए कोई बाधा नहीं है।


Support Us


Satyagraha was born from the heart of our land, with an undying aim to unveil the true essence of Bharat. It seeks to illuminate the hidden tales of our valiant freedom fighters and the rich chronicles that haven't yet sung their complete melody in the mainstream.

While platforms like NDTV and 'The Wire' effortlessly garner funds under the banner of safeguarding democracy, we at Satyagraha walk a different path. Our strength and resonance come from you. In this journey to weave a stronger Bharat, every little contribution amplifies our voice. Let's come together, contribute as you can, and champion the true spirit of our nation.

Satyaagrah Razorpay PayPal
 ICICI Bank of SatyaagrahRazorpay Bank of SatyaagrahPayPal Bank of Satyaagrah - For International Payments

If all above doesn't work, then try the LINK below:

Pay Satyaagrah

Please share the article on other platforms

To Top

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text. The website also frequently uses non-commercial images for representational purposes only in line with the article. We are not responsible for the authenticity of such images. If some images have a copyright issue, we request the person/entity to contact us at This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. and we will take the necessary actions to resolve the issue.


Related Articles