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“When you see a good move, look for a better one as strategy requires thought, tactics require observation”: Analysis of biggest crackdown on terror outfits, ban on PFI fronts, and why Krishna left Jarasandha alive after killing Kansa in Mahabharata
Before the PFI ban, NSA Ajit Doval and Intelligence Bureau officers took the opinion of the country’s biggest Muslim organizations including those representing Deobandi, Barelvi, and Sufi sects of Islam. All these organizations were equivocal in their opinion that PFI was following a Wahhabi-Salafi agenda of pan-Islamist organizations with their extremist campaign to exploit the communal fault lines in India.
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PFI Raid
- The PFI organization was formed in the year 2006, all the members of which came from those Muslim organizations which were banned by the Government of India such as SIMI. Now look at how their funding is done, which is known to the government but the government cannot do anything because everything is going on according to the rules.
- Here we do not know the exact total number of PFI members in India (maybe close to 50 lakhs) but 2 lakh savings accounts of their 2 lakh members are in the banks of India.
- According to the rules of the Government of India, if any of your relatives, or friends are abroad, then they can send a maximum of ten thousand dollars (about 8 lakh rupees) every month to India.
- Now let's assume consertavily that every month in these two lakh accounts, only 500 dollars (40 thousand rupees) are being sent by their relatives or friends, which means that about 800 crore rupees come to these two lakh savings accounts every month.
- 85% of this goes to PFI which means Rs 680 crores every month. The remaining 15% is the reward of the savings account holder.
- If Rs 680 crores in a month, then it's about Rs 8160 crores in a year, and mind that this PFI has been in India since 2006. That means in 16 years, they have at least foreign funding of Rs 1,30,560 crores. In this, we are talking about the lowest figure per month.
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Now you calculate for yourself that if every month instead of 500 dollars they would be sending 2000 dollars, then how much money will come, and how the government will be able to put someone in jail?
- Now, do you understand how money comes for these works such as CAA, NRC, hijab case, farmers movement, stone pelting in Kashmir, Hindu Muslim riots all over India, and crores of reward on 'Sar tan se juda' etc. That is why it is said that by 2047 they will make India an Islamic country 'Ghazawa-e-Hind'.
- There are more than 15000 trained fighters of PFI in Bihar alone who have been prepared for civil war.
- PFI's elder son SDPI (Social Democratic Party of India), is a political wing of PFI which fights elections so that PFI gets full political support and PFI can be protected by creating ruckus directly in Lok Sabha and Vidhan Sabha. This SDPI has directly threatened Amit Shah and Ajit Doval that if the leaders of PFI are not released in 24 hours, then the government will be responsible for what will happen.
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SDPI workers are already facing many allegations of murder of Hindus in Kerala and forced conversion of Hindu girls.
- PFI's younger son CFI (Campus Front of India) works to prepare Muslim boys and girls of college all over the country for Jihad because college children get mentally ready for Jihad easily. They have been given the task of bringing back the land of Babri Masjid, they have also openly put up a poster of the same thing on their website.
- PFI's daughter NWF (National Women's Front), which is the wing of women jihadis, is supposed to be the most dangerous. She does not hesitate to do any task, no matter what.
Now just try to grasp how well the Govt and agencies planned and worked meticulously to take such a massive crackdown on PFI to crush the fangs of fanatic Islam
ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कितनी मेहनत लगती है कितना पूर्वाभ्यास करना होता है ये भी जाने एक साथ पीएफआई के लगभग 500 ठिकानों पर रेड मारना पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक जैसा ही मुश्किल काम था परंतु राष्ट्रवादी सरकार और एजेंसियों की मेहनत ने यह कर डाला। अमित शाह व अजित डोभाल जी ने दिल्ली कंट्रोल रूम से रातों जाकर इस ऑपरेशन की पूरी मॉनिटरिंग भी की।
हम आप खाने कमाने में बिजी रहते हैं परंतु देश की सुरक्षा में लगी एजेंसियां 24 घंटे देश में पनप रहे खतरों को समझने और उनके नेटवर्क को खत्म करने में लगी रहती हैं। पिछले 4-5 महीनों से पीएफआई नेता एनआईए और अन्य गुप्त एजेंसियों की निगरानी में थे। केरल पीएफआई का सबसे बड़ा गढ़ है इसलिए वहां पर विशेष ध्यान दिया गया। एनआईए अधिकारियों को पहले से ही पता था कि केरल में पीएफआई द्वारा आतंकवादी गतिविधियां फल-फूल रही हैं और इसीलिए केरल पर जोर देते हुए एनआईए व अन्य एजेंसियों के 200 अधिकारियों को यहां भेजा गया।
ये सब पिछले रविवार को केरल के कई हिस्सों में पहुंचे। उन्होंने पीएफआई नेताओं के घर और कार्यालय क्षेत्र के 1 किमी के दायरे में कमरे किराए पर लिए। कोई नहीं जानता था कि वे क्यों आए थे और उनके इरादे क्या थे। वहां से वे पीएफआई नेताओं के घरों और दफ्तरों के रास्तों पर नजर रखते हैं, नक्शे तैयार करते हैं और दिल्ली भेजते हैं।
वहां से अनुमति मिलने के बाद एनआईए, ईडी और अन्य गुप्त एजेंसियों के लगभग 200 उच्च कुशल अधिकारी केरल के कई हिस्सों में पहुंच जाते हैं और केरल के शीर्ष पुलिस अधिकारी भी यह नहीं जानते हैं। रांची से सीआरपीएफ के 10 बटालियन (750 जवान) के गार्ड 200 अधिकारियों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सभी तरह के अत्याधुनिक हथियारों के साथ कोच्चि पहुंचे. वहां से वे कई समूहों में बंट गए और केरल के विभिन्न हिस्सों में पहुंच गए लेकिन तब तक वे नहीं जानते कि वे क्यों आए हैं।
200 अधिकारी टीमों में बंटे, 3 दिन तक लगातार मॉनिटरिंग में लगे रहे। वे यात्रा करने के लिए टैक्सियों का उपयोग करते हैं और कैब चालक को अपना सेल फोन बंद करने के लिए कहा जाता। 3 दिन की सर्विलांस खत्म होने पर दिल्ली से जानकारी दी गयी कि ये ऑपरेशन ऑक्टोपस है. उसके बाद केरल पुलिस के उच्च अधिकारियों को सूचित किया जाता है।
दूसरी ओर, गिरफ्तार पीएफआई नेताओं को दिल्ली पहुंचाने के लिए सीमा सुरक्षा बल का विशेष विमान कोच्चि एयरपोर्ट पर तैयार रखा गया. दिल्ली से रात 2 बजे ऑपरेशन शुरू करने का आदेश आता है।
रात के 3:30 बजे ये सभी 200 अधिकारी अपने ठिकानों से पास के पीएफआई नेताओं के घर और दफ्तर जाते हैं और सर्च वारंट दिखाकर तलाशी शुरू करते हैं. सुरक्षा कारणों के चलते सीआरपीएफ और लोकल पुलिस को साथ में लगाया जाता है
छापे के 4 घंटे के भीतर, विभिन्न क्षेत्रों से गिरफ्तार पीएफआई नेताओं को कोच्चि हवाई अड्डे पर लाया गया और तैयार उड़ान में दिल्ली लाया गया। भोर तक पीएफआई नेता दिल्ली में थे, इससे पहले कि केरल सरकार कोई हस्तक्षेप कर पाती।
एजेंसी ऐसे ही जाकर किसी को उठाकर नहीं ले आती, पहले पूरा होमवर्क करती है। भले ही आतंकी इस्लामिक संगठनों के लिए विपक्षी पार्टियों की छाती में दूध उतर आया हो और वे मोदी सरकार पर झूठे आरोप लगा रहे हो परंतु आपको सत्य समझना चाहिए।
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Mahabharat
महाभारत में कंस वध के पश्चात जब जरासंध बार बार श्रीकृष्ण पर हमला कर रहा था तो... श्रीकृष्ण बार बार उसकी पूरी सेना का सफाया कर देते थे लेकिन जरासंध को जीवित छोड़ देते थे.
कारण पूछने पर श्रीकृष्ण ने बताया कि... मैं जरासंध को हर बार जीवित इसीलिए छोड़ देता हूँ
क्योंकि, जरासंध को मारने के बाद उसकी जैसी कुत्सित बुद्धि वाले सारे स्लीपर सेल अंडरग्राउंड हो जाएंगे और फिर उन्हें खोज पाना बेहद मुश्किल होगा...
और, उसके बाद तो हम जान ही नहीं पाएंगे कि... आखिर, ऐसे लोग कहाँ कहाँ मौजूद है.
इसीलिए, मैं बार-बार जरासंध को जीवित छोड़ कर अपना काम उसे सौंप देता हूँ ताकि वो बार बार अपने स्लीपर सेल को एक्टिव करे और मैं उनके स्लीपर सेल को चुन चुन के खत्म कर दूँ ...
इस तरह मैं ऐसे लोगों का एकमुश्त रूप से सफाया कर पाता हूँ.
अब आप महाभारत के उस घटना और अभी के परिदृश्य को मिलाकर देखें तो आपको सबकुछ समझ आ जाएगा.
जब जरासंध ने शाहीन बाग में धरना प्रायोजित किया और दिल्ली में दंगे करवाये उसी समय से वो श्रीकृष्ण के राडार पर आ गया.
उसके बारे में तथ्य और सबूत जुटने शुरू हुए कि ये आखिर है क्या ???
इसके मेंबर कितने हैं, पैसे कहाँ से आते हैं , इसके नेटवर्क कहाँ कहाँ तक हैं... आदि आदि.
उधर जरासंध अपनी ताकत में मस्त था कि.... हम तो अजेय हैं क्योंकि हमको राक्षसी जरा (अल्पसंख्यक टैग) का वरदान मिला हुआ है.
हमारे साथ तो इतने कटेशर हैं... इतने देश हैं, इतनी राजनीतिक पार्टियां हैं आदि आदि.
साथ ही उनके मन में ये भ्रम भी आ गया कि... मोई सरकार इन्हें प्रेशर कुकर के सीटी की मानती है जो "उनके" प्रेशर को कम करने का काम कर रही है.
श्रीकृष्ण भी मुस्कुराते हुए ऐसे प्रदर्शित करते रहे कि.... वे तो बहुत भोले हैं और वे सचमुच में ऐसा ही सोच रहे हैं जैसा जरासंध के मन में चल रहा है.
उल्टे वे भिकास और तृप्तिकरण का घोड़ा दौड़ाते रहे.
इधर भागवत से लेकर डोवाल और मोई जी कटेशर गुरुओं के साथ मिलते रहे और सबका DNA एक बता कर सबको खीर पूरी खिलाने की बात करते रहे.
इससे जरासंध भी खुश एवं लापरवाह....
कि, हम अजेय हैं... और, हम जब जो चाहे कर सकते हैं.
लेकिन, एक दिन सुबह सवेरे पूरे देश में फैले जरासंध के नेटवर्क के 100 ज्यादा हैंडलर पूरे सबूत और डॉक्यूमेंट के साथ धर दबोचे गए.
इसके बाद फिर... एक हफ्ते तक शांति... (शायद उसे फिर से संगठित होने का समय देने के लिए ).
इससे हुआ ये कि 2-3 दिन में जब जरासंध ने समझा कि अब हमला खत्म हो चुका है तो उसने अपने छुपाकर कर रखे हुए संसाधन और लोगों को फिर से एकत्र किया..
और, अपनी ताकत का आकलन करने लगा कि अब हमारे पास क्या और कितना बचा है.
तभी ... फिर से दूसरा हमला हुआ एवं उसके दुबारा से एकत्र किए गए लोग एवं डॉक्यूमेंटस को जब्त कर लिया गया.
इस पूरी घटना में मजेदार बात यह रही कि.... जरासंध के नेटवर्क पूरे देश एवं विदेश में फैले होने के बावजूद भी कहीं से भी इसके विरोध में चूं तक शब्द नहीं निकला और न ही कोई हंगामा हुआ.
क्योंकि, ये सब करने से पहले ही भागवत और डोवाल द्वारा उनके धर्मगुरुओं को समझा दिया गया था कि.... सेम DNA होने के कारण हम तो तुम लोगों को शुद्ध घी की पूरी और दम आलू की सब्जी खिलाना चाह रहे हैं...
लेकिन, ये जरसंधवा... तुमलोगों को बदनाम कर रहा है जिसके कारण जनता हमारे पूरी सब्जी का विरोध कर रही है.
इसीलिए... तुमको पूरी सब्जी खिलाने से पहले इस जरसंधवा को बांस करना जरूरी है.
अतः, तुमलोग ध्यान रखना कि जब हम उसको बांस करें तो उसकी चिल्लाहट ज्यादा न गूंजे.
इस तरह उन दढियलों ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए चिल्लाहट नहीं गूंजने दिया.
और , जरसंधवा को सलीके से बांस कर दिया गया.
खैर... लेटेस्ट अपडेट ये है कि जरासंधवा पर 5 साल तक के लिए बैन लगा दिया गया है..
ताकि, उन जप्त किये डॉक्यूमेंट के आधार पर अब आराम से चुन चुन कर उनके स्लीपर सेल का दबोचा जा सके.
साथ ही.... अभी 5 साल में बहुत से यज्ञ होने हैं...
इसीलिए, धर्मरक्षक.... यज्ञ के रास्ते में आने वाले सभी संभावित रोड़े को पहले से हटा कर अपनी यज्ञ की सफलता सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं.
पूरी कहानी का सार या है कि.... अब जरासंधवा को फाड़ कर फेंका जा चुका है और अब जरासंध महज एक इतिहास है.
और, महाभारत के युद्ध में अब जरासंध के कौरवों के पक्ष से लड़ने की आशंका ही खत्म चुकी है.
जय महाकाल...!!!
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Conclusion
मोदी को मौलाना बताने वाले,
मोदी की छाती नापने वाले,
अमित शाह को नकारा निकम्मा नपुंसक गृह मंत्री बताने वाले,
सबका विश्वास और तृप्तीकरण पर तंज कसने वाले,
हर परिस्थिति में अपने नेतृत्व पर विश्वास करने वाले समर्थकों को अब्बासी हिंदू, मास्टरस्ट्रोकवादी, अंडोला आदि नामों से संबोधित करने वाले,
खुद को राइट विंगर बुद्धिजीवी/पत्तलकार बता कर हर समय मोदी/भाजपा विरोधी एजेंडा चलाने वाले कट्टर हिन्नू अल्ट्रा प्रो मैक्स पेंडुलम आज कल कहां हैं ? 🤔
ऐसे आत्मघाती पेंडुलमो को चिन्हित कीजिए और अपनी फ्रेंड/फॉलोइंग लिस्ट से तत्काल विदा कीजिए। राइट विंग को ऐसे उतावले, लिजलिजे, अल्पदर्शी, आत्मघाती, पेंडुलम लोगों की जरूरत नहीं है।
राष्ट्रवादियों ने 2014 से जो नेतृत्व चुना है वो अब तक का सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व है। अपने नेतृत्व पर विश्वास बनाए रखिए।
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Food for thought
केंद्र सरकार ने UAPA कानून के तहत PFI और उसकी 8 सहयोगी संस्थाओं पर 5 साल के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया है.
सुबह से इस ख़बर पर तीन तरह के reaction देखने को मिलें हैं.
- लोग खुश हैं.
- लोग प्रश्न उठा रहे हैं.
- हर रोज मोदी की छाती नापने वाले और मौलाना बोलने वाले फेविकोल पी गए हैं.
अब पहले वाले ठीक हैं....उनका स्टैंड clear है... ऐसे ही तीसरे वाले भी अपने स्टैंड पर clear हैं...वो कुछ घंटे कोमा में रहेंगे, फिर कोई मुद्दा उठाएंगे और छाती का नाप लेने लगेंगे.
यहाँ सबसे ख़ास हैं दूसरी प्रजाति के लोग... यह निम्न प्रश्न उठा रहे हैं.
- आजीवन प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया?
- sdpi पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया
- PFI के नेताओं पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया
- कल कोई कोई और सरकार आ गयी और उसने प्रतिबन्ध हटा दिए तो क्या होगा.
इन्ही के लिए उत्तर देते हैं.
- प्रतिबन्ध UAPA के अंतर्गत लगा है, और अभी यह प्राथमिक प्रतिबन्ध ही हैं... आगे यह और बढेगा ही.... इस मामले में किसी को कोई संशय हो तो SIMI पर लगे प्रतिबंधों के बारे में पढ़े.
- दूसरी बात... आप frustrated हैं और किसी भी चीज से खुश नहीं हैं तो इसमें सरकार की कोई गलती नहीं. आप 5 साल के प्रतिबन्ध से दुःखी हैं... कल को आजीवन लगा देंगे तो कहेंगे कि सात जन्मो के लिए लगाया जाए.... वह लगेगा तो कहेंगे कि 4 युगो के लिए लगाओ..
कुल मिला कर आपको हर बात में नुक्ताचीनी ही करनी है.. और सच मानिये इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
- SDPI पर प्रतिबन्ध भी जल्दी लगेगा, वह एक राजनीतिक दल है, इसलिए उसका काम Election commission के द्वारा होगा.... इतने दिन सब्र रखा है, कुछ समय और रख लीजिये.
- PFI के नेताओं पर प्रतिबन्ध भी लगेगा.. अभी मात्र 2 कदम ही चली है सरकार... छापे मारे और प्रतिबन्ध लगाया है..... धीरे धीरे Evidence के आधार पर सभी नेताओं पर भी लगेगा.... वैसे भी PFI की पूरी लीडरशिप अभी NIA की गिरफ्त में है... जो लम्बे समय के लिए जेल में ही रहेंगे.
- अगर कोई और सरकार आ गयी तो क्या होगा???
PFI पर UAPA कानून के तहत प्रतिबन्ध लगा है.... UAPA से पहले POTA कानून था.... जो बीजेपी सरकार लायी थी... उस कानून को कांग्रेस ने 2004 में आते ही रद्द कर दिया था.
कल को हो सकता है कांग्रेस या और कोई सरकार आये और UAPA को रद्द कर दे... प्रतिबन्ध को रद्द कर दे.... यह सब संभव है.
अगर आजीवन प्रतिबन्ध भी लगाया जाए... तो जिस कानून के तहत वो लगा है, वही कानून अगर रद्द हों जाए तो प्रतिबन्ध भी स्वतः रद्द हो जायेगा.
ऐसे में किसकी जिम्मेदारी है कि ऐसी सरकारें सत्ता में ना आएं?? आप ही की ना??
कांग्रेस के कर्नाटक सरकार ने PFI के विरुद्ध 100 से ज्यादा case वापस ले लिए थे.... क्या आप के लिए यह महत्व नहीं रखता... क्या आपको यह नहीं दिखता??
आज कांग्रेस कई राज्यों में सत्ता में है... POTA हटाने के बाद केंद्र में सत्ता में 10 साल रही है.
इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकवादी संगठन के आतंकियों ने batla house किया था.. जिसमें हमारे पुलिस अफसर ने बलिदान दिया था.... आज उस संगठन का मजहब के नाम पर समर्थन करने वाले, और पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा के बलिदान को फर्जी बताने वाले दिल्ली में सरकार बनाये बैठे हैं..... मुफ्त बिजली पानी के नाम पर. ऐसे में आप किस मुँह से उम्मीद करते हैं कि कोई आपकी सुरक्षा के लिए लड़े... आतंकवाद को ख़त्म करे...
संस्थाओ पर ban लगाए.... क्यूंकि जब सरकार चुनने की बात आती है.. तब आप आंतरिक सुरक्षा के बजाये अपने बिजली पानी के बिल या कर्जा माफ़ी चुनते हैं... ऐसे में आपको कोई भी अधिकार नहीं सवाल करने का.
~ Gaurav Pradhan
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