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Wednesday, 2 April 2025 | 05:34 pm

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Amar Saheed Bhagat Singh

| Satyaagrah | Revolutionaries

Amar Saheed Bhagat Singh

दो शताब्दी पूर्व पश्चिम से कुछ अंग्रेज, व्यापारियों के रूप में, भारत आए और धीरे -धीरे उन्होंने तराजू छोड़कर तलवार थाम ली। उस तलवार ने हजारों-लाखों भारतवासियों का खून पीया और वे व्यापारी अतिथि इस देश के मालिक बन बैठे। हमारे देश के धर्म और संस्कृति पर उन्होंने वार किया। देश की तमाम पूंजी लूट ली और जनता को कंगाल बना दिया। राजनीतिक जोड़-तोड़ से देश के टुकड़े-टुकड़े कर डाले और जिस किसी ने भी इन सब अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई, उस पर कोड़े बरसाए गए, फांसी पर लटका दिया गया या फिर जीवन भर तिल-तिल गलने के लिए कालेपानी की गन्दी जेलों में डाल दिया गया।

ऐसे हालात में भगतसिंह ने 23 वर्ष की छोटी सी आयु में अपने रक्त से स्वतंत्रता के वृक्ष को सींचकर ऐसा मजबूत बना गए कि फिर क्रांति को रोकना अंग्रेज सरकार के बस की बात न रही । आज भी जब हम इन्कलाब जिंदाबाद का नारा सुनते हैं तो भगतसिंह हमारे दिल-दिमाग पर छा जाते हैं।

सदियों से उनका परिवार अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध था और पिछली दो पीढ़ियों से अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध लड़ रहा था। भगतसिंह के पूर्वज महाराजा रणजीतसिंह की सेना में थे। पश्चिम में उपद्रवी पठान तथा पूर्व में बढ़ रहे अत्याचारी अंग्रेजों के बीच सिख राज्य की रक्षा में महत्वपूर्ण योग देने के लिए इस परिवार को मान्यता प्राप्त हो गई थी| अंग्रेजों ने महाराजा रणजीतसिंह और उनके परिवार के साथ जो कुछ व्यवहार किया उस सबसे इन पुरखों में जो विद्रोही घृणा जगा दी थी, वह धरोहर के रूप में भगतसिंह को मिली।

Specifications


Hits
4258
Publisher
Ministry of Information and Broadcasting
Downloads
313
Pages
82 pages
Year
1974

Author


Author
Virendra Sindhu

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